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गर्भधारण के 5वें महीने में ही बच्चेदानी से बाहर आ गया था बच्चे का हाथ, डॉक्टर ने मां-बच्चे दोनों को किया सुरक्षित


हाई रिस्क प्रेग्नेंसी एक्सपर्ट डॉ. अपेक्षा साहू ने बताया- इस तरह के मामले दुलर्भ, 10 लाख में 1 गर्भवती में होती है ऐसी परेशानी
टांका लगाने के दौरान भी बच्चेदानी की झिल्ली फटने का रहता है खतरा, 85% मामले में हो जाता है गर्भपात, 15% गर्भवती को जान जाने का खतरा

Samachar Post, रांची : गर्भधारण के दौरान कुछ महिलाओं के बच्चेदानी में परेशानी हो जाती है। जिस कारण मिसकैरेज होने का खतरा भी बना रहता है। इसी प्रकार का एक दुर्लभ मामला है जिसमें बच्चेदानी से बच्चे का हाथ बाहर आ जाता है। अगर समय रहते बच्चेदानी में टांके न लगाए जाए तो गर्भपात हो जाता है। इसे मेडिकल भाषा में सर्वाइकल इनकॉम्पीटेंस कहा जाता है। अगर टांका लगाने में थोड़ी भी लापरवाही हुई तो न सिर्फ बच्चे का, बल्कि प्रसूता की भी जान को खतरा बना रहता है। रांची के गुरुनानक अस्पताल की हाई रिस्क प्रेग्नेंसी एक्सपर्ट डॉ. अपेक्षा साहू ने ऐसे ही मामले में रिस्क लेते हुए मां-बच्चे दोनों को सुरक्षित किया है। डॉ. अपेक्षा ने बताया कि रामगढ़ की रहने वाली 34 साल की महिला की बच्चेदानी से बच्चे का हाथ बाहर आ गया था। चूंकि गर्भधारण का पांचवा महीना था तो बच्चा पूरी तरह विकसित भी नही हुआ था। हाथ के बाद धीरे-धीरे बाकी हिस्से भी बच्चेदानी को फाड़कर बाहर आने और गर्भपात होने का खतरा बना रहता है। ऐसे में डॉ. अपेक्षा ने काफी सावधानी से बच्चे के हाथ को वापस बच्चेदानी के अंदर डाला। 


थोड़ी भी लापरवाही से बच्चेदानी की झिल्ली फटने का रहता है खतरा
डॉ. अपेक्षा ने बताया कि टांका लगाने के दौरान काफी सावधानी बरतनी पड़ती है। क्योंकि थाेड़ी भी लापरवाही के कारण मेंब्रेन फटने का खतरा रहता है। कई मामलों में डॉक्टर इस तरह के केस करने से बचते हैं, चूंकि यह काफी रेयर केस है। इसका सक्सेसरेट भी 100 में 1% के करीब है। डाॅ. अपेक्षा ने कहा कि शुक्रवार देर रात ऑपरेट करने के बाद रविवार देर शाम उक्त महिला को डिस्चार्ज कर दिया गया। अब प्रसूता और उसका बच्चा दोनों खतरे से बाहर है।


रामगढ़ की महिला का पहले भी दो बार इसी तरह हो चुका था गर्भपात
डॉ. अपेक्षा ने बताया कि उक्त 34 साल की महिला का पहले भी इसी तरह से दो बार गर्भपात हो चुका था। पहली बार गर्भधारण के तीसरे महीने में और दूसरी बार पांचवें महीने में। इस बार महिला तीसरी बार गर्भपात न हो जाए इसे लेकर काफी चिंतित थी। डॉ. अपेक्षा के अनुसार, बार-बार इस तरह से मिसकैरेज होने के कारण बच्चादानी कमजोर हो जाता है। जान जाने का भी खतरा बना रहता है।

इस तरह के मामले दुलर्भ, 10 लाख में 1 गर्भवती में होती है ऐसी परेशानी
हाई रिस्क प्रेग्नेंसी एक्सपर्ट डॉ. अपेक्षा ने बताया कि इस तरह के मामले काफी दुलर्भ होते हैं। दुनिया भर में करीब 10 लाख महिलाओं में 1 गर्भवती में ऐसी परेशानी होती है। यहीं नहीं, एक्सपर्ट द्वारा इस तरह के मामले ऑपरेट करने के दौरान भी करीब 85% मामले में गर्भपात का और 15% मामले में गर्भवती की जान जाने का खतरा रहता है।

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