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रिम्स में फर्श पर इलाज कराने वाले रोगियों को बेड दिलाने की पहल, निदेशक डॉ. राजकुमार ने तत्काल प्रभाव से लागू किया रिम्स में डायनेमिक बेड मेनेजमेंट सिस्टम

 

 

पूर्व निदेशक डॉ. कामेश्वर प्रसाद ने भी लागू की थी बेड मैनेजमेंट सिस्टम, ईएनटी व नेत्र विभाग में मरीज भर्ती भी होने लगे थे, पर दो माह में ही हो गई थी व्यवस्था ध्वस्त

Samachar Post, रांची : रिम्स में न्यूरोसर्जरी और मेडिसिन विभाग में मरीज का दबाव अधिक रहने के कारण बेड मिलने में परेशानी होती है। नतीजन सामान्य के साथ-साथ गंभीर रोगियों को भी फर्श पर इलाज कराने को बाध्य होना पड़ता है। वर्तमान में भी न्यूरोसर्जरी विभाग के कॉरिडोर में फर्श पर 22 रोगी जमीन पर लेट कर इलाज करा रहे हैं। डॉक्टर को इन्हें देखने के लिए और नर्सों को दवाएं देने के लिए भी फर्श पर बैठना-झुकना पड़ता है। सालों से रिम्स में इस व्यवस्था को बदलने के दावा किया जा रहा है, लेकिन हर प्रयास नाकाम साबित हो रही है। इधर, मंगलवार को रिम्स प्रबंधन ने निर्देश जारी करते हुए कहा है कि रिम्स में भर्ती होने वाले मरीजों को फर्श पर इलाज न कराना पड़े इसके लिए रिम्स प्रबंधन द्वारा डायरेनिक बेड मैनेजमेंट सिस्टम तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है। इसके तहत इमरजेंसी में औषधि विभाग और न्यूरोसर्जरी विभाग से संबंधित मरीजों को बेड उपलब्ध न होने की स्थिति में औषधि विभाग में भर्ती होने वाले मरीजों को औषधि विभाग के किसी अन्य इकाई में रिक्त पड़े बेड पर रखा जाएगा। वहीं, न्यूरोसर्जरी विभाग में बेड रिक्त नहीं होने पर ईएनटी विभाग या नेत्र रोग विभाग में रिक्त पड़े बेड में मरीजों को रखा जाएगा। इसमें संबंधित विभागाध्यक्ष परस्पर समन्वय स्थापित कर निर्णय लेगें।

क्या इस व्यवस्था से रोगियों को फायदा मिलेगा? 
क्योंकि पूर्व निदेशक ने भी की यहीं व्यवस्था लागू, 2 माह में तोड़ दिया था दम
इधर, रिम्स निदेशक डॉ. राजकुमार द्वारा यह व्यवस्था लागू करने के बाद से ही सवाल उठने शुरू हो गए है। बड़ा सवाल यह है कि क्या इस व्यवस्था से रोगियों को फायदा मिलेगा? क्या यह व्यवस्था लंबे समय तक लागू रहेगी? क्योंकि पूर्व निदेशक डॉ. कामेश्वर प्रसाद ने भी रोगियों की अत्यधिक संख्या देखते हुए डायनेमिक बेड मैनेजमेंट सिस्टम लागू किया था। लेकिन 2 महीने में ही इस व्यवस्था ने दम तोड़ दिया था।

ईएनटी व नेत्र विभाग में न्यूरोसर्जरी के पेशेंट रखने से डॉक्टरों ने किया था विरोध
बताते चले कि जब तात्कालिन निदेशक ने पूर्व में बेड मैनेजमेंट के लिए यह व्यवस्था लागू की थी, तब ईएनटी और नेत्र रोग विभाग के डॉक्टरों ने पेशेंट रखने पर विरोध किया था। डॉक्टरों का कहना था कि न्यूरोसर्जरी के रोगी गंभीर स्थिति में भर्ती होते हैं। ऐसे में विभाग में पहले से भर्ती नेत्र व ईएनटी रोगी को इंफेक्शन का खतरा हो सकता है। इसलिए दो महीने के बाद से दोनों ही विभाग के डॉक्टरों ने पेशेंट लेना बंद कर दिया था।
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